Factum IND PAK WAR Update- भारत-पाकिस्तान युद्धविराम: कैसे हुआ समझौता, कौन-कौन रहा शामिल
भारत-पाकिस्तान युद्धविराम: कैसे हुआ समझौता, कौन-कौन रहा शामिल

भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे तनाव और सीमा पार हमलों के बाद अब एक राहत भरी खबर सामने आई है। 10 मई 2025 को दोनों देशों ने एक “पूर्ण और तात्कालिक युद्धविराम” (सीज़फायर) पर सहमति जताई है। यह फैसला अमेरिका की मध्यस्थता से हुआ और इसकी पुष्टि खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की।
तनाव की वजह क्या थी?

इस तनाव की शुरुआत अप्रैल 2025 में हुई, जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ। इस हमले में 26 निर्दोष लोग मारे गए। इसके जवाब में भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” चलाकर पाकिस्तान के कब्ज़े वाले क्षेत्र में आतंकियों के ठिकानों पर हमला किया। पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई में ड्रोन और मिसाइल हमले किए, जिससे दोनों देशों को भारी नुकसान झेलना पड़ा।

किसने निभाई सुलह की भूमिका?
इस तनाव को रोकने के लिए अमेरिका ने सक्रिय भूमिका निभाई।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप,
विदेश मंत्री मार्को रुबियो,
और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों से लगातार 48 घंटे बातचीत की।
इन प्रयासों के बाद ही दोनों देशों ने युद्धविराम पर सहमति दी।
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क्या शर्तें तय हुईं युद्धविराम की?
ज़मीन, हवा और समुद्र — तीनों मोर्चों पर अब कोई सैन्य कार्रवाई नहीं की जाएगी।
पाकिस्तान के डीजीएमओ ने 10 मई को दोपहर 3:35 बजे भारतीय डीजीएमओ को कॉल कर युद्धविराम का प्रस्ताव दिया।
शाम 5 बजे से युद्धविराम लागू कर दिया गया।
12 मई को दोनों देशों के सैन्य अधिकारी फिर से बैठक करेंगे, ताकि आगे की रणनीति तय हो सके।

कौन-कौन देश आए बीच में?
इस शांति प्रक्रिया में अमेरिका, चीन, यूरोपीय यूनियन, जी-7 देश, और कुछ खाड़ी मुल्कों ने भी अपीलें कीं और कूटनीतिक दबाव बनाया। पूरी दुनिया ने इस टकराव को टालने की अपील की थी।
क्या यह युद्धविराम स्थायी रहेगा?
फिलहाल यह एक बड़ी और सकारात्मक शुरुआत है, मगर स्थायी शांति के लिए लगातार बातचीत और विश्वास बहाली के कदम उठाने होंगे। दोनों देशों ने संकेत दिए हैं कि वे तटस्थ जगह पर बैठकर बाकी मुद्दों पर भी चर्चा को तैयार हैं।
निष्कर्ष:
भारत और पाकिस्तान के बीच ये युद्धविराम हजारों जानें बचा सकता है। ये सिर्फ एक राजनीतिक निर्णय नहीं, बल्कि करोड़ों आम लोगों के लिए सुकून और उम्मीद की खबर है। अब देखने वाली बात होगी कि ये युद्धविराम कितने दिन टिकता है और क्या इससे स्थायी अमन की राह निकलती है।