GHAZAL: ज़ीस्त का मौत से सामना रह गया एक बालिश्त का फ़ासला रह गया
ग़ज़ल ज़ीस्त का मौत से सामना रह गया एक बालिश्त का फ़ासला रह गया वक़्ते-बे-रहम ने छीना सब कुछ मिरा
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ग़ज़ल ज़ीस्त का मौत से सामना रह गया एक बालिश्त का फ़ासला रह गया वक़्ते-बे-रहम ने छीना सब कुछ मिरा
Read Moreइश्क़ हो पाएगा नया पूछा इक नजूमी से ज़ाइचा पूछा सुर्ख़ आंखों का माजरा पूछा फिर किया तुमने रतजगा पूछा
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