“आग का आकाश” – एक समकालीन युद्ध कथा
(इजराइल का हिटलर नामा)
Israel Attack On Iran
पहला दृश्य: तेहरान की सुबह
12 जून 2025 की सुबह थी।
तेहरान का आसमान वैसा ही था जैसा हर दिन होता है — धूप में झिलमिलाता, पंछियों की चहचहाहट से भरा।
लेकिन उस दिन सूरज की रोशनी से पहले ही आकाश जल उठा।
1:43 AM पर, इजराइल ने “ऑपरेशन राइजिंग लायन” के तहत ईरान की धरती पर मिसाइलों और ड्रोन का बौछार कर दी।
Israel Attack On Iran
दूसरा दृश्य: बमों के नीचे बिखरते सपने
तेहरान के पास नतांज़, खोराब, खोर्रमाबाद — वो नाम जो कल तक वैज्ञानिक प्रयोगशालाएं थे, आज जलते हुए धुएं के गुबार बन चुके थे।
परमाणु वैज्ञानिक, सैनिक अधिकारी, और निर्दोष नागरिक — किसी के पास समय नहीं था सोचने का।
इज़राइली हमले में सिर्फ मशीनें नहीं टूटीं —
348 लोग मारे गए, जिनमें से
122 सेना के अफसर थे,
41 परमाणु क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिक और टेक्नीशियन,
और 185 आम नागरिक — जिनमें बच्चे, महिलाएं और कॉलेज के छात्र तक शामिल थे।
Israel Attack On Iran
तीसरा दृश्य: एक माँ की चीख
तेहरान की एक गली में फ़रजाना खातून अपने 17 साल के बेटे अली को खोज रही थी —
वह बायलॉजी का छात्र था, और जिस इमारत में वो पढ़ता था, वहीं एक बम गिरा था।
उसके चप्पल मिले, एक किताब का अधजला पन्ना मिला — लेकिन अली नहीं मिला।
Israel Attack On Iran
चौथा दृश्य: दूसरा वार, और ज़ख़्म गहरे
इज़राइल ने 13 जून को दूसरा हमला किया, जहाँ उन्होंने जानबूझकर
ईरान के मिलिट्री कमांड सेंटर,
मिसाइल शेल्टर,
और कम्युनिकेशन टॉवर को नष्ट किया।
यह हमले सटीक, तेज़ और क्रूर थे।
नुकसान का आँकड़ा:
श्रेणी आँकड़ा
मृतक 348 लोग
घायल 780+
नष्ट सैन्य संरचनाएं 19
परमाणु लैब ध्वस्त 3
नागरिक भवन तबाह 26
आर्थिक नुकसान $2.1 अरब (लगभग ₹17,000 करोड़)
पाँच वा दृश्य: ये जंग या ज़ुल्म?
Israel Attack On Iran
दुनिया दो हिस्सों में बँट गई —
कुछ ने कहा,
“इज़राइल ने खुद की सुरक्षा के लिए कदम उठाया है।”
जबकि बाकी ने कहा,
“ये एकतरफा हमला है — ये जंग नहीं, ज़ुल्म है।”
ईरान ने कहा,
Iran President
> “हम बदला लेंगे।”
पर बदले से क्या लौटेंगे वो 348 सपने जो मलबे में दबे रह गए?
अंतिम दृश्य: राख से उठता सवाल
एक बच्चे ने मलबे के पास खड़े होकर पूछा —
“क्या हम फिर मुस्कराएंगे?”
“क्या ये सब ज़रूरी था?”
यह कहानी एक देश के दर्द की नहीं — पूरी इंसानियत के आंसुओं की है।
Israel President Netnyahu
क्या ये इज़राइल का ज़ुल्म है?
हाँ, अगर हमला बिना अंतरराष्ट्रीय सहमति और निर्दोषों की जान लेकर हो — तो उसे ज़ुल्म ही कहा जाएगा।