रवीश कुमार का इस्तीफा और NDTV के बिकने की खबर का क्या है पूरा सच
न्यूज़ चैनल NDTV इस वक्त सुर्खियों में है यूं तो रवीश कुमार की जिंदादिली वाली पत्रकारिता के चलते इस चैनल की पहचान और TRP हमेशा उछाल पर रही है पर इन दिनों NDTV का नाम अडानी ग्रुप के साथ जुड़कर और भी अधिक चर्चाओं में है सभी लोग जानना चाहते हैं कि आखिर सही मामला क्या है ऐसे में हम ने खोजबीन कर कुछ अफवाहों पर चल रहे घमासान का सच उजागर करने का प्रयास किया है
सबसे पहले आपको यह बता दो की मैग्सेसे पुरुस्कार से सम्मानित बेबाक ओर ईमानदार पत्रकार रवीश कुमार के इस्तीफा देने की बात कोरी झूठ है रवीश कुमार ने अपने ऑफिशियल अकाउंट से कटाक्ष भरा ट्वीट करते हुए कहां है की मेरे इस्तीफे की बात महज अफवाह है और कुछ नहीं
आपको बता दें कि इस ट्विट के अलावा किसी तरह की और कोई टीका टिप्पणी य बयान अभी तक रवीश कुमार ने आधिकारिक तौर पर जारी नहीं किया है जितनी भी बातें सोशल मीडिया पर चल रही है सभी फर्जी है रही बात एनडीटीवी के अदानी ग्रुप द्वारा खरीदे जाने की तो यह किन परिस्थितियों में संभव हुआ आइए जानने का प्रयास करते हैं सूत्रों की अगर मानें तो
NDTV के बिकने में एक बड़ा ट्विस्ट आया है अडानी ने NDTV को पिछले दरवाज़े से ख़रीदने की कोशिश की है इसे कॉरपोरेट की भाषा मे “Hostile Takeover” या “ज़बरदस्ती अधिग्रहण” कहते है NDTV ने जो बयान जारी किया है उसे सहज भाषा मे बताता हूँ !
NDTV ने लोन लिया
शर्त ये थी कि लोन नहीं चुकाने की सूरत में NDTV का लोन NDTV के शेयर में बदल जाएगा पर लोन को शेयर में बदलने के लिए NDTV की इजाज़त ज़रूरी है (बिना इजाज़त सम्भव नहीं है)
ये बहुत सामान्य सा एग्रीमेंट है जो कॉरपोरेट लोन में आम बात है बैंक भी कॉरपोरेट को लोन देते वक़्त ऐसी शर्त रखते हैं ताकि लोन डिफ़ॉल्ट हो तो कंपनी का मालिकाना हक़ मिल जाए
अडानी ने लोन देने वाली ही प्राइवेट कम्पनी को ख़रीद लिया और NDTV को नोटिस जारी कर लोन को शेयर में बदल कर 29.18% का मालिक बन गया ओर NDTV को तो पता भी नहीं चला अडानी ने NDTV से कोई इजाज़त नही ली या लोन चुकाने का कोई मौक़ा नही दिया ऐसा NDTV ने बोला है!
NDTV का मुआमला कॉरपोरेट में एक बेंचमार्क होगा पूर्व में भी ऐसी घटना घटित हो चुकी है एक बार मरहूम “जूट किंग” अरुण बाजोरिया ने टाटा को टेकओवर करने की कोशिस की थी सरकार ने रोक दिया था! पर इस वक़्त पूरा सिस्टम अडानी के साथ है NDTV को कुचलने की कवायद जारी है अडानी के लिए सबकुछ सहज होगा पर लगता नही की बिना लड़े प्रणय रॉय हार मानने वाले हैं, अब ऐसे में इस प्रकरण पर आप लोगो की क्या राय है कमेन्ट कर ज़रूर बतायें।