मुरादाबाद मंडल

Factum:- उत्तर प्रदेश के एक स्कूल में हरियाली की अनोखी पाठशाला: क्लासरूम बने ऑक्सीजन ज़ोन, पेड़ों के बीच पढ़ाई कर रहे बच्चे

उत्तर प्रदेश के एक स्कूल में हरियाली की अनोखी पाठशाला: क्लासरूम बने ऑक्सीजन ज़ोन, पेड़ों के बीच पढ़ाई कर रहे बच्चे

कक्षाओं में लगे बड़ी संख्या में पौधे
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले की तहसील बिलारी के एक छोटे-से गांव अमरपुरकाशी ने इन दिनों पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक बड़ी मिसाल कायम की है। यहां के कृषि औद्योगिक इंटर कॉलेज में हरियाली के माध्यम से शिक्षा को एक नया रूप दिया गया है।

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पहल की शुरुआत

मुकट सिंह बाबू जी, अंतराष्ट्रीय सामाजिक कार्यकर्ता
इस अनूठी पहल की शुरुआत की कॉलेज के संस्थापक, 91 वर्षीय अंतरराष्ट्रीय सामाजिक कार्यकर्ता मुक्त सिंह बाबूजी ने। उन्होंने अपने अनुभवों से प्रेरणा लेकर स्कूल में ‘हरियाली संवर्धन प्रोजेक्ट’ की नींव रखी।

शिक्षकों की ट्रेनिंग

स्कूल स्टाफ़
इस अभियान को सफल बनाने के लिए बाबूजी ने कॉलेज के प्रधानाचार्य श्री आशीष जादौन और शिक्षकों के साथ मिलकर एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। इसमें यह सिखाया गया कि बच्चों को पेड़-पौधों का महत्व कैसे समझाया जाए और प्रकृति से उनका जुड़ाव कैसे बढ़ाया जाए।

बच्चों की भागीदारी

स्कूली बच्चों ने लगाये कक्षाओं में पौधे
छठी से बारहवीं तक की सभी कक्षाओं के छात्र-छात्राओं ने इस पहल में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। बच्चों ने शिक्षकों की मदद से कक्षा के कोनों, दीवारों और खिड़कियों के पास सैकड़ों पौधे लगाए।
कुछ बच्चों ने गमले लाए, तो कुछ ने प्लास्टिक की बोतलों को काटकर उनमें मिट्टी भरकर पौधे लगाए। कबाड़ से सुंदर गार्डन तैयार किए गए।

क्लासरूम बने ऑक्सीजन ज़ोन

पौधों से बदला कक्षाओं के माहौल
अब स्कूल की हर कक्षा एक हरा-भरा ऑक्सीजन ज़ोन बन चुकी है। पेड़ों के बीच पढ़ाई करने से न सिर्फ क्लासरूम का तापमान घटा है, बल्कि वातावरण भी अधिक ताजा और खुशनुमा हो गया है।
बच्चों ने कहा –
“पेड़ हमारे असली दोस्त हैं।”
“पेड़ हमें जीने की हवा देते हैं।”

प्रशासन की सराहना

बिलारी एसडीएम विनय कुमार, (मध्य मे) प्रधानाचार्य आशीष जादौन व अन्य
बिलारी के एसडीएम विनय कुमार भी बच्चों की इस कलात्मक पहल को देखने स्कूल पहुंचे। उन्होंने बच्चों से बातचीत की और अपने स्कूल के दिनों की यादें साझा कीं।

रोल मॉडल बना गांव

इस अनोखी पहल से न सिर्फ शिक्षा का माहौल बदला है, बल्कि बच्चों का प्रकृति से जुड़ाव भी गहरा हुआ है।
अमरपुरकाशी गांव और इसका यह स्कूल अब पर्यावरण प्रेमियों के लिए एक रोल मॉडल बन चुका है।
स्कूली बच्ची अपने पौधे के साथ

निष्कर्ष

91 वर्षीय मुक्त सिंह बाबूजी और बच्चों की मेहनत ने मिलकर यह सिद्ध कर दिया है कि स्कूल केवल पढ़ाई का स्थान नहीं, बल्कि प्रकृति से जुड़ने का अद्भुत केंद्र भी बन सकता है।

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