मुरादाबाद मंडल

लेखाधिकारी के बाबू को शिक्षिकाओं ने चप्पलों से पीटा

दफ्तर में पहुंचकर दनादन बरसाईं चप्पलें; बाबू बोला-मुझे टीचर्स यूनियन ने पिटवाया

 

अमरोहा के वित्त एवं लेखाधिकारी (AO) बेसिक डॉ. अनुराग द्विवेदी के बाबू शैलेंद्र की 2 शिक्षिकाओं ने चप्पलों से पिटाई कर दी। बाबू पर एक शिक्षिका का तबादला होने के बाद लास्ट पेमेंट स्लिप (LPC) देने की एवज में घूस मांगने का आरोप है।

बाबू पर शिक्षिका से फोन पर बदसुलूकी करने के भी आरोप हैं। घटना के बाद बाबू ऑफिस छोड़कर भाग निकला। करीब सप्ताहभर पुराना यह मामला बेसिक शिक्षा विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस घटना से अमरोहा AO अनुराग द्विवेदी की कार्यप्रणाली पर भी कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं। उनकी तैनाती के बाद से ही अमरोहा एओ ऑफिस पर कई बार भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं।

“मैं यूनियन की राजनीति का शिकार हुआ”

अपने साथ हुई घटना पर बाबू शैलेंद्र ने कहा-

“मैं टीचर्स यूनियन की राजनीति का शिकार हुआ हूं। यूनियन के कुछ लोग मुझसे नाराज रहते हैं। उन्होंने ही महिलाओं को भड़काया। 2 महिलाओं ने आते ही मेरे साथ दफ्तर में बदतमीजी और मारपीट शुरू कर दी। 10 दिन पहले अमरोहा से गाजियाबाद के लिए ट्रांसफर हुई एक महिला टीचर भी इन दोनों महिलाओं के साथ में थी। वह अपने पति के साथ इस दौरान ऑफिस के बाहर खड़ी रही।”

“फोन पर मैंने कुछ भी गलत नहीं कहा”

शैलेंद्र ने कहा-“जिस महिला का गाजियाबाद तबादला हुआ है वह बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूल में कार्यरत नहीं है। शिक्षिका राजकीय सहायता प्राप्त स्कूल में अमरोहा में तैनात थीं और अब राजकीय सहायता प्राप्त स्कूल में ही गाजियाबाद स्थानांतरित हुई हैं। शिक्षिका ने मुझे सुबह में फोन किया था। मैंने उनसे फोन पर कोई बदतमीजी नहीं की। उसकी रिकॉर्डिंग मेरे पास सुरक्षित है। मैंने शिक्षिका से कहा था कि LPC तभी दी जा सकती है जब वेतन निकल जाए। बजट नहीं होने की वजह से वेतन ही नहीं निकला था। इसलिए लास्ट पेमेंट सर्टिफिकेट भी नहीं जारी हो सकता था। फिर ये काम मैं देखता भी नहीं। 2019 से यह पटल मुकेश बाबू के पास है।”

पिटने के बाद भी बाबू ने नहीं की शिकायत

अमरोहा का वित्त एवं लेखाधिकारी भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से पिछले 6 महीने में कई बार सुर्खियों में आ चुका है। मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार सिंह तक भी AO डॉ. अनुराग द्विवेदी की कई इसकी शिकायतें पहुंच चुकी हैं। ताजा घटना में जिस तरह अपने साथ सरेआम मारपीट के बाद भी बाबू ने पुलिस में FIR दर्ज नहीं कराई उससे इन आरोपों को बल मिल रहा है।

दरअसल मामला दर्ज होने पर जांच हुई तो बाबू के साथ कई अधिकारी भी कठघरे में आ सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि यही वजह है कि बाबू शैलेंद्र और अधिकारी मामले को दबाने में जुटे हैं। शैलेंद्र खुद को बेकसूर तो बता रहे हैं लेकिन कार्रवाई करने के बजाए उल्टा वह दफ्तर छोड़कर भाग गए और कई दिन तक ऑफिस ही नहीं आए। शैलेंद्र ने दैनिक भास्कर से कहा- मैंने इस मामले में कोई शिकायत नहीं की। दूसरे पक्ष ने भी कोई लिखित शिकायत नहीं की है।

AO बोले- घटना के वक्त दफ्तर में नहीं था

वित्त एवं लेखाधिकारी डॉ. अनुराग द्विवेदी ने कहा-

“घटना के वक्त में ऑफिस में नहीं था। दो महिलाओं ने मेरे बाबू शैलेंद्र के साथ मारपीट की। घटना की सूचना पर मैं ऑफिस पहुंचा। महिलाओं ने 112 नंबर पर कॉल करके पुलिस भी बुला नी थी। मैंने महिलाओं से पूछा तो उन्होंने कहा कि बाबू ने सुबह में फोन पर उनसे कुछ बदसुलूकी की है। मैंने इस मामले में बाबू को कारण बताओ नोटिस भेजा है। गाजियाबाद ट्रांसफर हुई महिला टीचर ने LPC में देरी की बात भी मुझे बताई। लेकिन सहायता प्राप्त स्कूलों में LPC मैनेजमेंट की ओर से जारी होती है। इसमें मेरे दफ्तर का कोई फाल्ट नहीं है। बाबू के साथ हुई घटना उसका व्यक्तिगत मामला था।”

बाबू ने कहा-पीटने वाली महिलाएं हायर की गईं

​​​​​​​बाबू शैलेंद्र का कहना है कि जिन दो महिलाओं ने उनके साथ मारपीट की, वह शिक्षिकाएं नहीं थीं। बाबू का दावा है कि दोनों महिलाओं को टीचर्स यूनियन के कुछ पदाधिकारियो ने इस काम के लिए हायर किया था। जिस शिक्षिका का LPC का प्रकरण था वह भी दोनों के साथ आई थी। लेकिन उसने मारपीट नहीं की। वह अपने पति के साथ गेट पर खड़ी रही। बाबू शैलेंद्र ने यह भी कहा कि उनकी बहन के ससुराल वालों से उनका कुछ विवाद चल रहा है। उन लोगों ने भी इस मामले को हवा दी और वह भी इसमें शामिल थे।

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