FACTUM: डीएम से मिले पत्रकार रिपोर्ट निरस्त करने की मांग, प्रेस परिषद में करेंगे शिकायत
मुरादाबाद। समाचार(News) प्रकाशित (Publish) करने पर पत्रकारों (Press Reporter)के खिलाफ अपराधिक मुकदमा (FIR) दर्ज किए जाने से (Media) मीडिया जगत में आक्रोश देखा जा रहा है। यूपी वर्किंग (Journalist Union)जर्नालिस्ट यूनियन ने पत्रकारों के इस गंभीर मुद्दे को गुरुवार को जिलाधिकारी (DM)शैलेंद्र कुमार सिंह से मुलाकात की। यूनियन के बैनर तले डीएम से मिले पत्रकारों ने रिपोर्ट निरस्त कराने की मांग उठाई और जांच के नाम पर उत्पीड़न किये जाने पर आंदोलन(Movement) करने की चेतावनी ( Warning)भी दी है। यूनियन ने इस मामले को प्रदेश कमेटी के समक्ष भी प्रस्तुत किया और इसपर मुख्यमंत्री से चर्चा करने का आग्रह किया है। इसके अलावा पीड़ित पत्रकारों ने पूरा मामला प्रदेश और केंद्र सरकार(Government) के साथ भारतीय प्रेस परिषद को भी अवगत कराया गया है।
मुख्यमंत्री के निर्देशों के विपरीत है एफआईआर
गुरुवार को श्रमजीवि पत्रकार यूनियन के जिलाध्यक्ष एम. राशिद सिद्दीकी की अध्यक्षता और वरिष्ठ पत्रकार नाजिम परवेज के नेतृत्व में पत्रकारों का शिष्टमंडल डीएम शैलेंद्र कुमार से मिला। पत्रकारों की तरफ से यूनियन के महानगर अध्यक्ष नदीमुद्दीन, जिला उपाध्यक्ष मो. जान तुर्की, महानगर महासचिव साजिद वारसी, सोसाइटी आफ एडीटर्स के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार निहाल हुसैन, पत्रकार शांतनु आदि ने पत्रकारों का पक्ष रखते हुए कहा कि बगैर जांच कराए रिपोर्ट दर्ज कराना अनुचित है और प्रेस की आजादी पर हमला है। उन्होंने निष्पक्ष जांच करके एफआईआर को निरस्त करने की मांग रखी। यूनियन की तरफ से
डीएम को दिए ज्ञापन में कहा गया है कि कांठ रोड स्थित कोचिंग संस्थान स्कॉलर डेन के स्वामी विवेक ठाकुर द्वारा पत्रकारों के खिलाफ जान से मारने की धमकी और वसूली के लिए दबाव बनाने की शिकायत पर बगैर जाँच पड़ताल के सिविल लाइन्स थाने में रिपोर्ट दर्ज करना चिंता का विषय है जो पत्रकारों का उत्पीड़न है तथा निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता को दबाने की साजिश का हिस्सा है। पुलिस का यह प्रयास माननीय योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश के निर्देश ‘पत्रकारों और उनके परिवार पर बगैर जाँच के रिपोर्ट दर्ज करने’ के भी खिलाफ है। इसी तरह सुप्रीम कोर्ट ने भी पत्रकारों को सुरक्षा करने और उत्पीड़न नहीं करने के निर्देश दिए हैं। पत्रकारों पर दर्ज कराई गई रिपोर्ट की तहरीर से स्पष्ट प्रतीत होता है की यह पूँजीपति और नौकरशाही का गठजोड़ है जो अपने कृत्य छिपाने के लिए पत्रकारों की आवाज को दबाना चाहता है और लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को कमजोर करना चाहता है। हैरानी की बात यह है कि पॉश आवासीय कॉलोनी में व्यावसायिक भवन बनाने और मजदूरों के साथ हुए दुखद हादसे की कोई जाँच नहीं हो रही है। एसोसिएशन शहर के सम्मानित संपादकों और पत्रकारों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को तत्काल निरस्त करने की आपसे विन्रम मांग करती है। जाँच के नाम पर पत्रकारों का उत्पीड़न होने पर एसोसिएशन धरना प्रदर्शन करने को बाध्य होगी जिसकी जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन की होगी।
पत्रकारों ने किया ऐलान-करेंगे लंबा संघर्ष
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डीएम से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए राशिद सिद्दीकी ने कहा कि पत्रकारों पर अपराधिक केस के खिलाफ संघर्ष किया जाएगा। पत्रकारों क हित में यूनियन के संघर्ष का लंबा इतिहास है और समय-समय पर पत्रकारों के लिए यूनियन शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करती रही है। इस मौके पर नौशाद अली, ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष मोहित शर्मा, सलीम खां, छायाकार सुहैल खां, खिजर अंसारी, मौ. दानिश, मो. इमरान, मो. फरमान, शारिब अंसारी, दानिश अंसारी आदि शामिल रहे। सहाफी जज्बात के संपादक शहजाद अनवर शम्सी ने बताया कि भारतीय प्रेस परिषद को पूरे मामले से अवगत कराया गया है। उन्होंने कहा है कि पत्रकार साथी किसी भी कीमत परडरने या दबाव में आने वाले नहीं हैं। जनहित और न्यायहित में जारी संघर्ष विधि अनुसार व नियमानुसार जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि हमें प्रशासनिक अफसरों व न्यायपालिका पर पूर्ण विश्वास है।