इश्क़ हो पाएगा नया पूछा
इक नजूमी से ज़ाइचा पूछा
सुर्ख़ आंखों का माजरा पूछा
फिर किया तुमने रतजगा पूछा
आपकी नरगिसी इन आँखों में
पा सकूंगा मैं आसरा पूछा?
कितनों को खा गई मुई उल्फ़त
मोजिज़ा है कि है वबा पूछा
साहिबे-फ़न था वो मगर, मुझसे
शे’र कहने का ज़ाविया पूछा
नज़ीर नज़र