ज़ख्मे – दिल फिर हरा करे कोईः नज़ीर नज़र उर्दू अकादमी , मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद ,संस्कृति विभाग का महाभियान तलाश-ए-जौहर सम्पन्न
ग्वालियर। मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी , संस्कृति परिषद् संस्कृति विभाग द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के तहत
तलाश ए जौहर व्याख्यान एवं कार्यशाला का आयोजन ग्वालियर में स्थानीय जिला समन्वयक डॉ .
मुक्ता सिकरवार के सहयोग से किया गया । इस मुक़ाबले में ग्वालियर , मुरैना एवं सागर संभाग के से चयनित रचनाकारों ने भाग लिया ।
कार्यशाला में विशेषज्ञों आमिर फारूकी एवं रश्मि सबा ने मार्गदर्शन किया गया।प्रारंभ में फिलबदीह मुकाबले के निर्णायक मंडल आमिर फारूकी एवं
रश्मि सबा द्वारा दो तरही मिसरे दिए गए 1. मेरे दुख की दवा करे कोई । 2. मिरा सामान सब बिखरा हुआ है ।
उपरोक्त मिसरों पर नए ग़ज़लों पर निर्णायक के संयुक्त निर्णय से ग्वालियर के नज़ीर नज़र को प्रथम ,
ग्वालियर के जितेंद्र तिवारी को द्वित्तीय एवं टीकमगढ़ के जाबिर गुल को तृत्तीय पुरूस्कार से सम्मानित किया गया ।
प्रस्तुति के पश्चात व्याख्यान में आमिर फारूकी ने शायरी की बारीकियों पर चर्चा की । इस अवसर पर सुकून शिवपुरी ,
चाँद मोहम्मद आखरि टीकमगढ़ , सबीह हाशमी छतरपुर , डॉ . हरकांत अर्पित गुना , अकरम दतियावी , दतिया ,
आर पी कामिल अशोकनगर एवं मुक्ता सिकरवार ग्वालियर ने भी अपना कलाम पेश किया ।
ज़ख़्मे-दिल फिर हरा करे कोई
रस्मे-दुनिया अदा करे कोई
मेरा मोहसिन हुआ करे कोई
मेरे हक़ में दुआ करे कोई
मैं तिरे साथ हूँ तू हिम्मत रख
आके इतना कहा करे कोई
मैं परेशां हूं एक मुद्दत से
‘मेरे दु:ख की दवा करे कोई’
हौसला मेरा डगमगाया है
मेरी हिम्मत बना करे कोई
खो गया है कहीं प चैन मिरा
उसका आकर पता करे कोई
इस भरे शह्र में अकेला हूं
मुझसे आकर मिला करे कोई
नज़ीर नज़र