शायरी

ऐसे किसी को घर से अलग कर दिया गया

ऐसे किसी को घर से अलग कर दिया गया
पगड़ी को जैसे सर से अलग कर दिया गया

जिसकी वजह से आप मिले हमको ‘गिफ़्ट’ में
हमको उसी हुनर से अलग कर दिया गया

हैरत है बांटती थी हमेशा जो सबको फल
उस शाख़ को शजर से अलग कर दिया गया।

नींदों का एहतिराम नहीं कर सका जो मैं
ख्वाबों की रहगुज़र से अलग कर दिया गया

था ‘नून’ ‘ज़र’ के साथ, तो इक नग़मगी सी थी
फिर ‘नून’ क्यूँ ‘नज़र’ से अलग कर दिया गया

नज़ीर नज़र

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